खूबसूरत-हिंदी कविता
लोग कहते है कि प्यार अँधा होता है। हमें जब किसी से मोहब्बत होती है तो हमें सिर्फ उनकी अच्छाई दिखती है, हम उस इंसान को सच और झूठ से परे एक आदर्श के रूप में देखते है। पर मेरा मानना है कि प्यार लोगों को अँधा नहीं करता बल्कि एक ऐसा नजरिया देता है जो निस्वार्थ भाव से सिर्फ अच्छाइयों को देखता है। पर जैसा की हम जानते है ‘आप भला तो जग भला’ मतलब अगर आप स्वयं अच्छे है तो आपको सब अच्छे ही लगते हैं। मेरे नज़रिये से प्यार आपको और आपके दिल को इस कदर संवारता है कि आपके मन में सिर्फ और सिर्फ अच्छाई रहती है। और यही कारण है कि हमें अपने प्रेमी में सिर्फ अच्छाई ही दिखती है।
खैर बात मोहब्बत कि हो तो मैं वो दिन कैसे भूल सकता हूँ, जब वो मेरी ज़िन्दगी में आई और मुझे सब कुछ अच्छा लगने लगा। दुनियाँ फिर से रंगीन हो गयी जैसे दिन दहाड़े किसी ने disco-lights लगा दिए हो और मेरे पैर अपने-आप उसके धुन पर थिरकने लगे हो। उसकी सुंदरता के आगे मैं क्या बड़े से बड़ा glacier भी पिघल जाये। मन के सागर में उसको जानने का विचार सुनामी के लहरों सा उछाल मार रहा था। क्या करूँ? कैसे बात करूँ उससे? बस इस सोच में मैं डूबता जा रहा था, अपने ही मन के गहरे सागर में, अकेला, निहत्था। आख़िरकार मेरी किस्मत मेरे ख्वाइशों के सामने झुक गई, जो अब तक असंभव सा लग रहा था वही बात हो गयी। एक मुलाकात हुई, फिर थोड़ी सी बात हुई।
जब उन्हें करीब से देखा, तब इस कविता कि शुरुवात हुई। ‘खूबसूरत-हिंदी कविता’
काली स्याही को हमनें, तेरे नाम पर रंगीन होते देखा है,
मोहब्बत–ऐ–जुर्म को हमनें, बड़े करीब से संगीन होते देखा है,
यूं तो झुकती है, दुनिया चांद की खूबसूरती के आगे,
पर हमनें खुद चाँद को सर झुकाकर तुझको सलाम करते देखा है।बहारों को हमनें, तेरी मौजूदगी में गुलज़ार होते देखा है,
रस्मों–रिवाजों को हमनें, सरे–आम नीलाम होते देखा है,
यूं तो कई आशिक फना हुए इस इश्क़ की आग में,
पर तेरी इक झलक की खातिर हमनें कत्ल–ऐ–आम होते देखा है।फिजाओं को हमनें, तेरे मिजाज़ पर करवट बदलते देखा है,
दिल–ए–एहसास को हमनें, गुफ्तगू हज़ार करते देखा है,
यूं तो भटकती है दुनियाँ जन्नत की तालाश में,
पर हमनें खुद जन्नत को तेरे गोद में सर बिछाएं आराम करते देखा है।ख्वाइशों को हमनें, तेरी ख्वाईश में तड़पते देखा है,
हूर–ए–जन्नत को हमने, बदगुमान जलकर ख़ाक होते देखा है,
यूं तो महकती है सांसे, फूलों की बहार में,
पर हमने खुद फूलों को, छुपकर तेरे बदन से महक चुराते देखा है।
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कोई इतना सुन्दर कैसे हो सकता की प्रकृति भी उसके सामने फीकी पड़ जाये, यही लग रहा ना आपको? अगर सच में आपको ऐसा लग रहा तो शायद आपने अपने मेहबूब से उस तरह प्यार नहीं किया जैसा मैंने किया है। पर घबराईये मत कभी-कभी वक़्त लग जाता है, मोहब्बत को उल्फत बनने में और ना बने तो समझ लेना की ये मोहब्बत थी ही नहीं।
मेरी नज़रों में उससे सुन्दर ना तो कुछ है और ना ही कभी हो सकता। ये कविता ‘खूबसूरत-हिंदी कविता’ तो उसकी सुंदरता का एक प्रतिशत भी बयां नहीं कर सकी। जिसकी सुंदरता चाँद सितारे बयां नहीं कर सके उसे चंद अल्फ़ाज़ क्या ही बयां करेंगे। मैं पूरी ज़िन्दगी उसकी सुंदरता पर कविता लिखूं तभी मेरे शब्द काम पड़ जायेंगे। शायद उसकी सुंदरता को बयां करने के लिए मुझे सैकड़ों जन्म लेना पड़े और हर जनम में मुझे उससे टकराने की वजह मिलती रहे। क्या पता इसी बहाने उनसे हर जनम मुलाकात होती रहे।
comment section में मुझे इस कविता ‘खूबसूरत-हिंदी कविता’ के ऊपर आपके विचारों का इंतज़ार रहेगा। क्या आपका मन भी ‘खूबसूरत-हिंदी कविता’ के शब्दों के ज़रिये आपके सोच को व्यक्त करता है?
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